शिक्षा और परीक्षा पर निबंध|UPSC essay|School essay
_राजन पाठक
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शिक्षा और परीक्षा Sketch By Raj Pathak @essaylikhnewala |
आप, शिक्षा और परीक्षा पर निबंध पढ़ रहे है
शिक्षा का अर्थ केवल किताबों की पढ़ाई ही नहीं होती, बल्कि जीवन के अनेक मोड़ पर आपको मिली हुई सीख भी "शिक्षा" हो सकती है।
बेहतर शिक्षा और परीक्षा प्रणाली सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हम में न केवल आत्मविश्वास विकसित करते हैं साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। यदि परीक्षा ना हो तो शायद हम कभी अपनी कमियों के बारे में कभी जान ही नहीं पाएं।
शिक्षा रूपी धन ही एक मात्र ऐसा धन है जिसे ना तो कोई चुरा सकता है और ना ही कोई छीन सकता है। यह एक मात्र ऐसा धन है जो बाँटने पर कम नहीं होता, बल्कि इसके विपरीत बढ़ता ही जाता है। यह मस्तिष्क को सकारात्मक की ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।
शिक्षा और परीक्षा दोनों एक दूसरे के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो परीक्षाएँ शिक्षा पद्धति का आवश्यक अंग है | विद्यार्थी की योग्यता को नापने के लिए यह एक महत्वपूर्ण साधन है |
"परीक्षा’ शब्द - दिखने में यह जितना छोटा है, इसका महत्व उससे कहीं अधिक होता है। जिस प्रकार किसी भी कार्य को किये जाने के बाद उसका परीक्षण करना महत्वपूर्ण होता है उसी प्रकार शिक्षा ग्रहण करने के बाद उसका भी परीक्षण उतना ही जरूरी होता है। परीक्षा का महत्व किसी की सफलता से नहीं बल्कि यह उस व्यक्ति विशेष के अंदर में छुपी उसकी काबिलियत को निखरना है।
शिक्षा की जड़ कड़वी है पर उसके फल मीठे है।-अरस्तु
परीक्षा का भय!! आखिर क्यों?
आज परीक्षा अधिकतर विद्यार्थियों के लिए एक भय की वजह बन गई है। आज परीक्षा एक हौवा बनकर विद्यार्थियों के मन-मप्तिष्क पर छा जाती है। परीक्षा के आते ही विद्यार्थियों के आंखों की नींद गयाब हो जाती है, सब मनोरंजन के साधन भी छूट जाते हैं,क्यों ?क्योंकि परीक्षा आ गई है!! कईयों का तो यही लक्ष्य होता है कि परीक्षा में कैसे भी करके पास हो जाएं बस। नहीं तो अगर पास नही हुए तो समाज क्या कहेगा, नौकरी नहीं मिलेगी..... औऱ भी ना जाने कितने प्रश्न विद्यार्थियों के दिमाग चलने लगते है। पढ़ते-पढ़ते आंखें थकान के कारण बोझिल हो जाती हैं लेकिन फिर भी लगे पड़े हैं रटने में,क्यों? क्योंकि डर परीक्षा का नहीं फेल होने का है।
आप, शिक्षा और परीक्षा पर निबंध पढ़ रहे है
पढ़ते -पढ़ते थक जाते बच्चे Sketch by @vishalverma_0_0_ @essaylikhnewala |
आधुनिक शिक्षा और परीक्षा प्रणाली
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परीक्षा के लिए शिक्षा ?? Sketch by Shikha Pandey @essaylikhnewala |
पहले के समय की शिक्षा प्रणाली आज के अपेक्षा काफी अलग और कठिन थी। सभी जातियों को उनके इच्छा अनुसार शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब इसमें काफी हद तक सुधार हुआ है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में कुछ कमियां भी हैं, परन्तु कमियां तो हर व्यवस्था में कुछ न कुछ तो रहती ही है। मेहनत करने वाले विद्यार्थियों के लिए परीक्षा का परिणाम एक इनाम की तरह होता है। यदि परीक्षाएँ न होती तो विद्यार्थों में शिक्षा में परिश्रम का उत्साह शायद ही उत्पन्न होता। कितने तो यह भी कहते हैं कि परीक्षा के कारण बच्चों पर अनावश्यक दवाब आता है अतः परीक्षाएँ नहीं होनी चाहिए | पर इस दवाब के सकारात्मक प्रभाव को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। विद्यार्थिओं में अपार योग्यता छुपी होती है, उस योग्यता को बाहर लाने के लिए यह आवश्यक है कि वे मेहनत करें |
आधुनिक शिक्षा का काम जंगलों को काटना नहीं, रेगिस्तान को सींचना है। - सी एस लेविस
परीक्षा का दवाब बच्चों से परिश्रम करवाता है | अतः इस दबाव का भी कहीं ना कहीं महत्व है। इससे विद्यार्थियों की योग्यताएँ विकसित होती हैं | परीक्षा में एक दूसरे के अंक देख कर अन्य विद्यार्थियों को ज्यादा अंक लाने की चाह भी बढ़ने लगती है जिससे वो उनके मन में परीक्षा के प्रति उत्साह बढ़ता है।
क्या शिक्षा परीक्षा से ही तौली जा सकती है?
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परीक्षा के लिए शिक्षा ?? Sketch by Shikha Pandey @essaylikhnewala |
आज के आधुनिक शिक्षा तकनीकी में शिक्षा से ज्यादा परीक्षा को महत्व दिया जाता है। आज ऐसी स्थिति है कि शिक्षा है तभी परीक्षा नहीं है बल्कि परीक्षा है तभी शिक्षा है। परीक्षा होनी चाहिए और आवश्यक भी है परन्तु हर स्थिति तो परीक्षा के लिए तो समान नहीं हो सकती। आज पूरा विश्व कोरोना नामक वैश्विक महामारी से लड़ रहा है। परन्तु फिर भी आज कई विश्वविद्यालय और कॉलेज ऐसे भी हैं जो परीक्षा करना चाहते हैं। और वहीं विद्यार्थी वर्ग का कहना है कि वो परीक्षा देने से भी नहीं कतरा रहे, अपितु उन्हें अपनी जान को खतरा दिख रहा है, उनके अनुसार जान है तो जहांन है, जो की देखा जाए तो कहीं ना कहीं सत्य ही है। और वे अभी इस महामारी के दौरान परीक्षा देना नही चाहते।
आप, शिक्षा और परीक्षा पर निबंध पढ़ रहे है
आज ऐसा वक़्त भी आ गया है जब शिक्षा को परीक्षा से तौला जा रहा है। ऐसे समय में भी परीक्षा का कराया जाना कहाँ तक उचित है? हां यह तो है कि शिक्षा में परीक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण है परन्तु क्या आज परीक्षा किसी विद्यार्थी के जीवन से भी बढ़कर हो सकती है?
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लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों (ऋषभ मिश्रा और अतुल सिंह ) द्वारा किया गया सर्वेक्षण |
ऐसा नहीं कि यहाँ हम परीक्षा का विरोध कर रहे हैं नहीं, बल्कि यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी स्थिति में भी परीक्षा कराया जाना शायद उचित नहीं। विद्यर्थियों के अनुसार इसके और भी विकल्प हैं। कोरोना महामारी के सम्पति तक परीक्षा को स्थगित किया जा सकता है, उसके बाद भी परीक्षा संपन्न कराई जा सकती है तथा और भी अन्य विकल्प भी हैं। विद्यर्थियों का मूल्यांकन करने के लिए और अन्य भी तरीके हैं जो कि ऐसी स्थिति में अपनाए जा सकते हैं।
आज सोशल मीडिया पर भी इस बात को लेकर छात्रों में नाराज़गी दिखाई दे रही। कई तो केंद्रीय शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार को टैग करते हुए यह भी लिख रहे -"कफ़न में डिग्री लेकर ऊपर जाएंगे क्या।मौत के बाद हमे अफसर बनाएंगे क्या।" और स्टूडेंट लाइफ मैटर्स जैसे हैशटैग का प्रयोग कर रहे हैं।
आज देखा जाए तो शिक्षा कहीं न कहीं परीक्षा तक ही सीमित रह गई है। या फिर कहें शिक्षा केवल परीक्षा के लिए रह गई है। और ऐसा होना शिक्षा व्यवस्था के लिए कदापि उचित नहीं है। शिक्षा और परीक्षा दोनों ही आवश्यक है । अतः इन दोनों का आपस में संतुलन अत्यंत आवश्यक है।
2 comments:
Very well written This topic actually needs much more attention than other because future creativity starts with it.. Well done
OSM💙
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Thank you for reading. Stay tuned for more writeups.