News Stall - Hindi Satire
खबरों का बाज़ार
_Aditya Mishra Blogger
Twitter: @voiceaditya
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खबरों का बाज़ार Sketched by @rohitbahekar589 |
“खबरें बिक रही हैं, आपकी जरूरत की नहीं. पसंद वाली खबरें” ऐसा ही एक पोस्टर देखकर हम भी उधर मुड़ गए। देखा तो बड़ा आलीशान महल दिखा, जिसका चौथा खंभा जर्जर हो गया था। उसी के पीछे अलग-अलग स्टॉल लगे हुए थे। जहां सभी पसंदीदा खबरों का फुल स्टॉक मौजूद था। एक शोरूम की लाइट ने विशेष ध्यान आकर्षित किया। पास जाकर देखा तो, धूप की चमक थी। सोचा धोखा हो गया, वहीं एक बोर्ड लगा था “फेक न्यूज़ यहां उचित मूल्य पर उपलब्ध है।“
यह पूरा परिसर खबर कम मनोरंजन का घर ज्यादा लग रहा था। चलते चलते कुछ स्टॉल के भीतर जाना हुआ, पोस्टर भी लगे थे “खबरें वही, जो कानों को भाए” कहीं-कहीं पूरा सब्जी मंडी वाला माहौल था, आलू ले लो... कांदा ले लो... या मच्छी बाजार जैसा, जहां कुछ समझ ही नहीं आता। वैसे मैं तो दर्शक था, कुछ खरीदा तो नहीं। हां! ऑफर के कुछ कूपन साथ ले आया।
फिर लेफ्ट साइड में एक और वर्ग दिखाई दिया। जहां भीड़ थोड़ी कम थी और माहौल बिल्कुल नीरस था। जैसे किसी के अंतिम दर्शन को आए हैं। वहां तो शायद कोई पॉजिटिव ब्लड ग्रुप का भी नहीं रहा होगा, सोच तो दूर की बात है।
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कुछ स्टॉल में बैठकर सोचा थोड़ा खबरों को परख लेता हूं, पर वहां तो सिर्फ ओपिनियन और वाद-विवादों के ढेर लगे हुए थे। चारों तरफ बस तीतर लड़ रहे थे, उन्हें पैसे देकर बुलाया गया था। कहां-कहां चिल्लाना है, पूरा अभ्यास करवाया गया था। कुछ खबरें बुलेट ट्रेन पर सवार थी, समझना तो दूर देखने में भी बेकार थी।
फिर मुझे लगा ‘क्या सच में खबर इसे ही कहते हैं? ना रिपोर्टर की रिपोर्ट, ना विशेषज्ञ की सलाह. क्या यह पत्रकारिता का गुनाह नहीं है!
लेकिन तभी एक संगीतमय सभा की भी शुरुआत हो गई, गाने सुनने सुनाने में ही बरसात हो गई। हमारा उस रंग में भीगने का इरादा ना था, इसीलिए इजाजत ली और निकल आए। पर सच में क्या हम इससे निकल पाए हैं! सोचना जरूर...
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2 comments:
Bohot khoob likha hai.
Bahut badiya likha hai
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Thank you for reading. Stay tuned for more writeups.