Environment day 2020/ Hindi poem
प्रकृति पर कविता
_विमर्श
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5 June - World Environment Day Painted by @prachi_chaturvedi_art @essaylikhnewala |
तरक़्क़ी की राह पर यूँ चले हम ,
की अपनी बुनियाद ही भूल चले हम
पंचतत्व से बने हम और बना संसार हमारे इसी को मिटाने चले हम
बासने चले थे नयी बस्ती पुरानी ही उजाड चले हम
चले थे रोटी की तलाश में, मंगल तक पहुँच गए
अंतरिक्ष के सवालो में इतने उलझे ,धरती को ही भूल गए
प्रकति ने सावरा हमको ,हमने उसको ही बरबाद किया
प्रकति ने दिया हमको जीवन, हमने उसके जीवन में ही विष घोल दिया
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आज़ादी पंछियो का भी अधिकार Pic By @mr_photographer2609
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बांटा धरती को २ हिस्सो में
एक मनुष्य के दूसरा सभी प्राणियो के नाम किया
हमने घर उनके उजाड़े , जंगल भी काट दिए
करके उनको पिंजरे में बंद उनकी आज़ादी भी छिन लिये
चिड़ियों के पंख काट दिए अपने पर फैलाने को
रोक दिया नदियो के बहाव को अपना जीवन बचने को
हिमालय भी पिघलने लगा कुरुरता की आग में
प्रकति ने बनाई तेरी किस्मत लेकिन हताशा ही मिली उसके भाग में
सबके जीवन में अंधकार फेला कर
खुद के लिए रौशनी की तलाश में भटकता है
ऐ इंसान न जाने खुदको तू क्या समझता है
तूने बहुत जुल्म किये अब बस बहुत हो गया
प्रकृति का धैर्य अब कही खो गया
अंबर ने दहाड लगाई है ,धरती भी गुर्राई है
सागर ने देदी चेतावनी, मनुष्य अब तेरी बारी आई है
तेरी जीवन रेखा प्रकृति के हाथ में तुझे किस बात का है अहंकार
तू जी रहा है इस धरती पर प्रकर्ति का है ये उपकार
तू भूल गया सारे अहसानो को ,कब वो सारे याद आयेगे
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बारिश की बुँदे Pic by Mukesh Aanad
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तूने काटे जो पेड़ उनके आँसू तेरी आँखो से आएंगे
तुझे छाया चाहिए पेडो की ,तू पेड़ भी नहीं लगाता है
काटता है सर उनके फिर अफ़सोस में सर भी नहीं झुकाता है
करखानो के धुंए से आसमान को जलाता है
और आसमान को देख कर बारिश की गुहार लगाता है
गंगा में विष भी तूने मिलया किया उसको मैला भी
और कहता है अब गंगा इतनी पवित्र नहीं
तेरे चरित्र को गंगा भी नहीं कर सकती पावन,
लग गए इसमे इतने दाग़ है, तु डर प्रकर्ति के भीतर धधक रही प्रतिशोध की आग है
इस आग में जल जायेगा तेरा हर एक कण मिट जायेगा
न समझ खुद को इतना शक्तिशाली प्रकर्ति के सामने न टिक पायेगा
तू चिंतन कर मंथन कर रोक दे इस विनाष को ,
प्रक्रति तो है अविनाशी, तेरा अंत निश्चित है
तेरे सभी कार्यो के परिणाम से तू स्वयं परिचित है
वक्त है अब सँभालने का जीवन को शुरू से शुरू करने का
प्रकति से आरंभ हुआ था जीवन अब फिर प्रकति के साथ चलाने का।
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