हिंदी कविता- वीर शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को समर्पित कविता,देशभक्ति पर कविता,बहादुरी पर कविता,शहीदों के पराक्रम पर कविता
जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंक-रोधी अभियान के दौरान दो अधिकारियों समेत पांच जवानों के शहीद होने पर आज पूरा देश शोक में डूब हुआ है। जवानों की वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
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हिंदी कविता- वीर शहीदों को श्रद्धांजलि |
आज भी मेरा जवान क्या कहता है :-
ना ही तन चाहिए , ना ही धन चाहिये,
मुझको धरती माँ जैसा सनम चाहिये।
मौत चाहे मिले मुझको हर मोड़ पर,
बस तिरंगा ही मुझको कफ़न चाहिये।
हिंदी कविता- वीर शहीदों को श्रद्धांजलि
बहुत बहे मेरे आँसू , अब तुमको भी रोना होगा,
जैसे तुमने मुझे सुलाया, तुमको भी सोना होगा।
क्या तुमने सोचा होगा, क्या गुजरी है उसके माँ पर,
जिसके बेटे के खून किया तूने दिल पर पत्थर रखकर।
एक बार भी तू न सोच सका , क्या बीतेगी उसके माँ पर,
जिसको तुमने आज मार दिया, अपने दिल पर पत्थर रखकर।
कितनो के दिल को तोड़ दिया तेरे इस अंजाम ने,
कितनों के घर भी तोड़े है तेरे इस घिनौने काम ने,
रोया है परिवार मेरा अब तुमको भी रोना होगा,
अब कौन हमें महफूज करेगा इन पापों के घेरों में,
कैसे मैं भी अब सोऊंगा, गहरे नींदों के घेरों में।
जो मुझे सुलाते थे सोये है बांध कफन अपने सिर पर,
जिनके कारण हम जीते थे आजादी से इस धरती पर ।
आज तेरे इस कामों ने कितने जवान को मारा है,
तेरा भी सिर अब काटूँगा , तू सुन अब प्रण हमारा है।
हँसते-गाते लोगो तो तुमने है बम से उड़ा दिया,
जिसको हमने सोचा न था, पर तुमने ऐसा काम किया।
तेरे इन पापों से तुमको अपना सब कुछ खोना होगा,
जैसे तुमने हमें सुलाया अब, तुमको भी सोना होगा।
-आशीष पाठक
एक भारत श्रेष्ठ भारत
संघर्ष
टैग्स:- Hindi kavita,हिंदी कविता, शहीदों पर कविता , वीर रस
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